कासिम सुलेमानी कौन था

kassim sulemani kaun tha

11 मार्च 1957 - 3 जनवरी 2020), इस्लामी क्रांतिकारी गार्ड कोर ( IRGC, पासदारान) में एक ईरानी प्रमुख जनरल थे और 1998 से, उनकी मृत्यु तक, इसकी क़ुद्स फोर्स के कमांडर थे। वे ईरान के राज्यक्षेत्रातीत सैन्य और गुप्त अभियान के लिए मुख्य रूप से ज़िम्मेदार थे क़ासिम सुलेमानी।


2019 में सुलेमानी अपनी सैन्य पोशाक में

सुलेमानी ने 1980 के ईरान-ईराक़ युध्द की शुरुआत में अपना सैन्य कैरियर शुरू किया, जहाँ उन्होंने अंततः ईरानी सेना की 41वी टुकड़ी की कमान संभाली। लेबनान के हिजबुल्लाह को सैन्य सहायता प्रदान करते हुए, बाद में वह राज्यक्षेत्रातीत अभियानों में शामिल हो गए। 

2012 में, सुलेमानी ने सीरियाई गृह युद्ध के दौरान, विशेष रूप से ISIS और उसके अपराधियों के खिलाफ ईरान के अभियानों से सीरियाई सरकार (एक प्रमुख ईरानी सहयोगी) को मजबूत करने में मदद की। 

सुलेमानी ने इराकी सरकार और शिया मिलिशिया (पॉपुलर मोबिलाइज़ेशन फोर्सेज) के संयुक्त बलों की भी सहायता की जिसने 2014-2015 में आईएसआईएस के खिलाफ जंग छेड़ी थी।

3 जनवरी 2020 को इराक के बगदाद में एक लक्षित अमेरिकी ड्रोन हमले में सुलेमानी को मार दिया गया था। इसके अलावा मारे गए इराकी शिया मिलिशिया के सदस्य और इसके डिप्टी हेड अबू महदी अल-मुहांदिस भी तह।

सुलेमानी के पश्चात् इस्माइल गनी को क़ुद्स फोर्स का कमांडर बनाया गया।

जनरल सुलेमानी ईरानी की एक ख़ास शख़्सियत थे. उनकी क़ुद्स फोर्स सीधे देश के सर्वोच्च नेता आयतोल्लाह अली ख़ामेनेई को रिपोर्ट करती है. 

सुलेमानी की पहचान देश के वीर के रूप में थी. सुलेमानी को पश्चिम एशिया में ईरानी गतिविधियों को चलाने का प्रमुख रणनीतिकार माना जाता रहा है।

परिचय

जनरल सुलेमानी भले ही ईरान के एक बड़े सैन्यकर्मी और उभरते हुए नेता थे, अमरीका ने उन्हें और उनकी क़ुद्स फ़ोर्स को सैकड़ों अमरीकी नागरिकों की मौत का ज़िम्मेदार क़रार देते हुए 'आतंकवादी' घोषित कर रखा था।

सुलेमानी को पश्चिम एशिया में ईरानी गतिविधियों को चलाने का प्रमुख रणनीतिकार माना जाता रहा है। 1998 से सुलेमानी ईरान की क़ुद्स फ़ोर्स का नेतृत्व कर रहे हैं।

वे ईरान की एक ख़ास शख़्सियत थे जिनकी क़ुद्स फ़ोर्स सीधे देश के सर्वोच्च नेता आयतोल्लाह अली ख़ामनेई को रिपोर्ट करती है। सुलेमानी की पहचान देश के वीर के रूप में थी। ख़ामनेई से उन्हें 'अमर शहीद' का ख़िताब दिया है।

उनकी एक बड़ी सफलता यह थी कि उन्होंने यमन से लेकर सीरिया तक और इराक़ से लेकर दूसरे मुल्कों तक रिश्तों का एक मज़बूत नेटवर्क तैयार किया ताकि इन देशों में ईरान का असर बढ़ाया जा सके।

सुलेमानी के नेतृत्व में ईरान की ख़ुफ़िया, आर्थिक और राजनीतिक पटल पर भी क़ुद्स फ़ोर्स का प्रभाव रहा है।

ईरान के दक्षिण-पश्चिम प्रांत किरमान के एक ग़रीब परिवार से आने वाले सुलेमानी ने 13 साल की आयु से अपने परिवार के भरण पोषण में लग गए। अपने ख़ाली समय में वे वेटलिफ्टिंग करते और ख़ामनेई की बातें सुनते थे।

फॉरेन पॉलिसी पत्रिका के मुताबिक़ सुलेमानी 1979 में ईरान की सेना में शामिल हुए और महज़ छह हफ़्ते की ट्रेनिंग के बाद पश्चिम अज़रबाइजान के एक संघर्ष में शामिल हुए थे।

इराक़-ईरान युद्ध के दौरान इराक़ की सीमाओं पर अपने नेतृत्व की वजह से वे राष्ट्रीय हीरो के तौर पर उभरे थे।

सुलेमानी ने इराक़ और सीरिया में इस्लामिक स्टेट के मुक़ाबले कुर्द लड़ाकों और शिया मिलिशिया को एकजुट करने का काम किया।

हिज़बुल्लाह और हमास के साथ-साथ सीरिया की बशर अल-असद सरकार को भी सुलेमानी का समर्थन प्राप्त था।

दूसरी तरफ़ सुलेमानी को अमरीका अपने सबसे बड़े दुश्मनों में से एक मानता था। अमरीका ने क़ुद्स फ़ोर्स को 25 अक्तूबर 2007 को ही आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया था और इस संगठन के साथ किसी भी अमरीकी के लेनदेन किए जाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया।

23 अक्तूबर 2018 को सऊदी अरब और बहरीन ने ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स को आतंकवादी और इसकी क़ुद्स फ़ोर्स के प्रमुख क़ासिम सुलेमानी को आतंकवादी घोषित किया था।

सद्दाम हुसैन के साम्राज्य के पतन के बाद 2005 में इराक़ की नई सरकार के गठन के बाद से प्रधानमंत्रियों इब्राहिम अल-जाफ़री और नोउरी अल-मलिकि के कार्यकाल के दौरान वहां की राजनीति में सुलेमानी का प्रभाव बढ़ता गया। 

उसी दौरान वहां की शिया समर्थित बद्र संगठन को सरकार का हिस्सा बना दिया गया। बद्र संगठन को इराक़ में ईरान की सबसे पुरानी प्रॉक्सी फ़ोर्स कहा जाता है।

2011 में जब सीरिया में गृहयुद्ध छिड़ा तो सुलेमानी ने इराक़ के अपने इसी प्रॉक्सी फ़ोर्स को असद सरकार की मदद करने को कहा था जबकि अमरीका बशर अल-असद की सरकार को वहां से उखाड़ फेंकना चाहता था।

ईरान पर अमरीकी प्रतिबंध और सऊदी अरब, यूएई और इसराइल की तरफ़ से दबाव किसी से छुपा नहीं है। 

और इतने सारे अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच अपने देश का प्रभाव बढ़ाने या यूं कहें कि बरक़रार रखने में जनरल क़ासिम सुलेमानी की भूमिका बेहद अहम थी और यही वजह थी कि वो अमरीका, सऊदी और इसराइल की तिकड़ी की नज़रों में चढ़ गए थे। अमरीका ने तो उन्हें आतंकवादी भी घोषित कर रखा था।

क़ुद्स फोर्स

ऊपर बताई गई ईरान की इसी रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स की स्पेशल आर्मी है क़ुद्स फ़ोर्स जो विदेशों में संवेदनशील मिशन को अंजाम देती है। क़ुद्स फोर्स सीधे देश के सर्वोच्च नेता आयतोल्लाह अली ख़ामेनेई को रिपोर्ट करती है।

हिज़बुल्लाह और इराक़ के शिया लड़ाकों जैसे ईरान के क़रीबी सशस्त्र गुटों को हथियार और ट्रेनिंग देने का काम भी क़ुद्स फ़ोर्स का ही है।

माना जाता है कि रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ईरान की अर्थव्यवस्था के एक तिहाई हिस्से को नियंत्रित करता है। अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रही कई चैरिटी संस्थानों और कंपनियों पर उसका नियंत्रण है।

ईरानी तेल निगम और इमाम रज़ा की दरगाह के बाद रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स मुल्क का तीसरा सबसे धनी संगठन है। इसके दम पर रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स में अच्छी सैलेरी पर धार्मिक नौजवानों की नियुक्ति की जाती है।

भले ही रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स में सैनिकों की संख्या नियमित सेना के सैनिकों की संख्या के मामले में क़रीब तीन लाख कम है लेकिन इसे ईरान की सबसे ताक़तवर फ़ौज के रूप में जाना जाता है।

ये भी कहा जाता है कि दुनिया भर में ईरान के दूतावासों में रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के जवान ख़ुफ़िया कामों के लिए तैनात किए जाते हैं।

ये विदेशों में ईरान के समर्थक सशस्त्र गुटों को हथियार और ट्रेनिंग मुहैया कराते हैं।

मृत्यु

ईरान की क़ुद्स फ़ोर्स के प्रमुख जनरल क़ासिम सुलेमानी बग़दाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हवाई हमले में मारे गए. इस हमले की ज़िम्मेदारी अमरीकी ने ली है. इस हमले में कताइब हिज़बुल्लाह के कमांडर अबू महदी अल-मुहांदिस भी मारे गए।

अमरीकी रक्षा विभाग की तरफ से बयान में कहा गया है कि "अमरीकी राष्ट्रपति के निर्देश पर विदेश में रह रहे अमरीकी सैन्यकर्मियों की रक्षा के लिए क़ासिम सुलेमानी को मारने का कदम उठाया गया है. अमरीका ने उन्हें आतंकवादी घोषित कर रखा था."

इस बयान में कहा गया है कि "सोलेमानी बीते 27 दिसंबर समेत, कई महीनों से इराक़ स्थित अमरीकी सैन्य ठिकानों पर हमलों को अंजाम देने में शामिल रहे हैं. इसके अलावा बीते हफ़्ते अमरीकी दूतावास पर हुए हमले को भी उन्होंने अपनी स्वीकृति दी थी."

बयान के अंत में कहा गया कि, "यह एयरस्ट्राइक भविष्य में ईरानी हमले की योजनाओं को रोकने के उद्देश्य से किया गया. अमरीका, चाहे जहां भी हो, अपने नागरिकों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई को करना जारी रखेगा."

अमरीकी मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि जनरल सुलेमानी और ईरान समर्थित मिलिशिया के अधिकारी दो कार में बगदाद एयरपोर्ट जा रहे थे तभी एक कार्गो इलाके में अमरीकी ड्रोन ने उन पर हमला कर दिया.

इस काफिले पर कई मिसाइलें दागी गईं. बताया गया कि कम से कम पांच लोगों की इसमें मौत हो गई है.

उनके मौत की पुष्टि ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने भी कर दी है.

हमले के पीछे औचित्य

अमरीका का कहना है कि हिज़्बुल्लाह इराक़ में उसके सैन्य ठिकानों पर लगातार हमला करता रहा है.

2009 से ही अमरीका ने कताइब हिज़्बुल्लाह को आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है. उसने इसके कमांडर अबु महदी अल-मुहांदिस को वैश्विक आतंकवादी भी क़रार दिया था. अमरीका का कहना है कि यह संगठन इराक़ की स्थिरता और शांति के लिए ख़तरा है.

अमरीका के डिफेंस डिपार्टमेंट का कहना है कि कताइब हिज़्बुल्लाह का संबंध ईरान के इस्लामिक रिवॉल्युशनरी गार्ड्स कॉर्प्स यानी आईआरजीसी के वैश्विक ऑपरेशन आर्म क़ुद्स फ़ोर्स से है जिसे ईरान से कई तरह की मदद मिलती है।

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