साइबर वॉर क्या होता है

साइबर वॉर क्या होता है

साइबर वॉर ऐसा युद्ध है जो कम्प्यूटर्स और इंटरनेट पर लड़ा जाता है। किसी देश का दूसरे देश के विघटन या क्षति पहुँचाने के उद्देश्य से उसके कम्प्यूटर्स/नेटवर्क्स में घुसपैठ करना साइबर वारफेयर के अंतर्गत आता है। 

यह सरकार द्वारा प्रायोजित भी हो सकता है या नॉन स्टेट एक्टर्स जैसे- आतंकवादी संगठन,राजनैतिक संगठन द्वारा प्रेरित भी हो सकता है। कुछ देशों में यह उनकी मिलिट्री पॉलिसी का अंग है।

इसका प्रमुख उद्देश्य होता है- शत्रु की संचार प्रणाली को नष्ट करना, उनके कम्प्यूटर्स से गोपनीय जानकारी चुराना जिसे युद्ध के समय उसी के विरुद्ध प्रयोग किया जा सके, सरकारी कामकाज को प्रभावित करना। अर्थव्यवस्था को हानि पहुँचाना, प्रोपगैंडा चलाना।


आपने पूछा कि क्या कभी इसका प्रयोग किया गया है, उत्तर है हाँ और एक बार नहीं कई बार सरकारों ने या हैकर्स के ग्रुप ने इसका प्रयोग किया है। जिनके बारे में दुनिया को पता है

स्टक्सनेट( 2004 ) यह एक वायरस था जिसे यूएसए और इस्रायल की इंटेलिजेंस एजेंसीज ने बनाया गया था ईरान में चल रहे परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए। 

ऑपरेशन ओलम्पिक गेम्स इसका कोडनेम था। यह वायरस केवल उन कम्प्यूटर्स को संक्रमित करता था जो यूरेनियम एनरिच्मेंट में काम आने वाले प्रोग्रामेबल लॉजिक कंट्रोलर्स से जुड़े होते थे। प्रोग्रामेबल लॉजिक कंट्रोलर्स यूरेनियम सेंट्रीफ्यूज में काम आने वाली मशीनरी को नियंत्रित करते हैं। 

वायरस पीएलसीस की प्रोग्रामिंग में बदलाव कर देता है इससे सेंट्रीफ्यूज की प्रक्रिया लम्बे समय तक चलती रहती है, इस प्रक्रिया में नाजुक उपकरण नष्ट हो जाते हैं जबकि मुख्य कंप्यूटर को इसका पता तक नहीं होता। इसका मुख्य निशाना था 

नतांज़ नुक्लिएर फैसिलिटी जो ईरान में है। यहाँ सबसे बड़ी समस्या थी कि वायरस को फैसिलिटी के अंदर कैसे पहुँचाया जाए क्योंकि यहाँ का सिस्टम इंटरनेट से नहीं जुड़ा था। तो वायरस को यूएसबी फ़्लैश ड्राइव के जरिये फैसिलिटी के अंदर सीआईए या मोसाद का कोई एजेंट ले गया और सिस्टम को संक्रमित कर दिया। दुनिया को स्टक्सनेट का पता चला 2020 में।


ऑपरेशन ऑरोरा ( 2002)

यह कई साइबर हमलों की श्रृंखला थी जिसका आरोप चीन के एल्डरवुड गैंग पर आया। हमलावरों ने यूएस के संस्थानों और संगठनों को अपना निशाना बनाया, जिनमें शामिल हैं गूगल, एडोबी सिस्टम्स, जुनिपर नेटवर्क्स और रैकस्पेस। 

इसका पता लगाया साइबर सिक्योरिटी कंपनी MacFee ने , कंपनी के ही थ्रेट रिसर्च के वाईस प्रेजिडेंट दिमित्री अल्पेरोविच ने इन हमलों को ऑपरेशन ऑरोरा का नाम दिया। कंपनी के अनुसार हमलावरों का मुख्य लक्ष्य था यूएसए के इन कम्पनीस के सॉफ्टवेयर के सोर्स कोड का एक्सेस हासिल करना।

ऑपरेशन रेड अक्टूबर ( 2012)

कास्परस्की लैब ने साइबर हमलों की एक श्रृंखला का पता लगाया जिसका मुख्य निशाना थे पश्चिमी यूरोप, मध्य एशिया और उन देशों के राजनयिक और सरकारें जो अतीत में यूएसएसआर का हिस्सा रहे थे पर जैसा कि चित्र में हम देख रहे हैं इसके शिकार लगभग पुरे विश्व में हैं। 

हमलों का मूल उद्देश्य गोपनीय जानकारी चुराना जिनमें शामिल हैं क्लासिफाइड कंप्यूटर सिस्टम्स के एक्सेस कोड, भूराजनैतिक सूचनाएँ और निजी मोबाइल उपकरणों द्वारा इकठ्ठा किया गया डाटा। कास्परस्की लैब के अनुसार हमलावर २००७ से ही अपने काम में लगे हुए थे।

Comments

  1. Look at the way my colleague Wesley Virgin's tale starts in this shocking and controversial VIDEO.

    Wesley was in the military-and shortly after leaving-he revealed hidden, "MIND CONTROL" secrets that the CIA and others used to get whatever they want.

    These are the EXACT same methods lots of celebrities (notably those who "became famous out of nothing") and elite business people used to become rich and famous.

    You probably know how you utilize only 10% of your brain.

    Mostly, that's because most of your brainpower is UNCONSCIOUS.

    Perhaps that conversation has even occurred IN YOUR own mind... as it did in my good friend Wesley Virgin's mind seven years ago, while riding an unregistered, beat-up bucket of a car with a suspended driver's license and with $3 on his bank card.

    "I'm so frustrated with living check to check! When will I get my big break?"

    You've been a part of those those types of thoughts, ain't it right?

    Your success story is going to start. You just need to take a leap of faith in YOURSELF.

    Take Action Now!

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  2. Very informative article more info visit Bad girls club

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