दुनिया की सबसे रहस्यमयी किताब

यह हमारा रहस्योँ से भरा भारत ना जाने अपने गर्व में कितने अद्भुत चीजों और रहस्य को समेटे हुए हैं। कुछ का पता तो प्राचीन किताबों और शास्त्रों से चलता है पर कुछ तो इतने ज्यादा रहस्यमई और अद्भुत है जिसका एक भी छोड़ पकड़ पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। दोस्तों इन रहस्यों का वर्णन हमारे शास्त्रों, पुराणों और ऐतिहासिक किताबों में दर्ज है। 


पर जरा सोचिए जिस किताबों से रहस्य का पता चलता है अगर वह किताब ही रहस्यमई हुई तो जी हां दोस्तों आज हम आपको इस पोस्ट में बताएंगे भारत की 10 सबसे रहस्यमई और प्राचीन किताबों के बारे में… जिसका जिक्र और जिसका ज्ञान अद्भुत है अकल्पनीय है। इन किताबों के ज्ञान को पढ़कर ऐसा लगता है कि किसने रचना की होगी इन किताबों की आखिर कितनी प्राचीन है यह किताबें, आखिर क्यों की गई इन किताबों की रचना यह सारी बातें आज हम आपको अपने इस पोस्ट में बताएंगे..

1. लाल किताब

भृगु संहिता से भी कहीं अधिक ज्ञान है लाल किताब का। कहा जाता है कि बहुत प्राचीन काल में आकाश से आकाशवाणी होती थी कि ऐसा करो तो जीवन में खुशहाली होगी, बुरा करोगे तो तुम्हारे लिए सजा तैयार कर दी जाएगी। हमने तुम्हारा सब कुछ अगला पिछला हिसाब कर रखा है। कहते हैं इन आकाशवाणी को लोग याद करके रख लेते थे और पीढ़ी-दर-पीढ़ी सुनाते थे। बाद में इन रहस्यमई आकाशवाणी के द्वारा प्राप्त हुए विद्याओं को कुछ लोगों ने लिपिबद्ध कर लिया था। जब 1939 ईस्वी में रूपचंद जी ने इसे लिखा तब वह कहते हैं कि उनको हिमाचल से एक पादु लिपि प्राप्त हुई थी। तब उन्होंने उस पादु लिपि का अनुवाद किया था जो ज्योतिष शास्त्र में परांगत है वह जानते हैं कि लाल किताब ज्योतिष की पारंपरिक प्राचीन विद्याओं का ग्रंथ है। यह विद्या उत्तरांचल और हिमाचल के हिमालय के सुदूर इलाके तक फैली हुई है। बाद में इसका प्रचलन पंजाब से लेकर अफगानिस्तान तक फैल गया। बाद में अंग्रेज के काल में इस विद्या की बिखेरे सूत्रों को इकट्ठा कर जालंधर निवासी पंडित रूपचंद जोशी ने सन 1939 ईस्वी को लाल किताब के फरमान नाम से एक किताब प्रकाशित की। इस किताब के कुल 383 पृष्ठ थे। दोस्तों आप माने या ना माने लेकिन लेकिन इस किताब को अगर पढ़कर आप समझ गए तो निश्चित ही आपका दिमाग पहले जैसा नहीं रहेगा।

2. रावण संहिता

कहा जाता है कि रावण द्वारा रचित रावण संहिता में ज्योतिष आयुर्वेद और तंत्र से जुड़ी तमाम ऐसी जानकारियां है जो की अचूक मानी गई है। यह किताब बहुत ही प्राचीन है और आज के समय में इसकी असली होने के प्रामाणिकता कोई नहीं दे सकता। जिस तरह से लाल किताब के नाम पर नकली किताबें मिलती है ठीक उसी तरह रावण संहिता के नाम पर भी नकली रावण संहिता मिलती है। लेकिन ऐसा भी कहा जाता है कि रावण संहिता कि एक प्रीति देवनागरी लिपि में देवरिया जिले के एक गांव गुरु नलिया में सुरक्षित रखी गई है। कहते हैं रावण ने जिस ग्रंथ की रचना की थी उसमें शिव तांडव स्त्रोत और रावण संहिता प्रमुख है। लंकापति रावण ने सूर्य के सारथी अरुण से यह सारा अद्भुत ज्ञान प्राप्त की थी।

3. अष्टाध्याई और योग सूत्र

परिणी द्वारा रचित दुनिया के प्रथम भाषा का प्रथम व्याकरण ग्रंथ अष्टाध्याई है जो कि 500 ईसापूर्व पहले की है। इस किताब में कुल 8 अध्याय हैं इसलिए इसे अष्टाध्याई कहा जाता है। कहते हैं कि इन सभी योगसूत्र को समझने के बाद आप को जिस ज्ञान की प्राप्ति होगी वह दुनिया के किसी और व्याकरण की किताबों से नहीं मिलेगा। क्योंकि यह ज्ञान शुद्ध है। परिणी के इस ग्रंथ पर महामुनि कात्यान का विस्तृत वर्ती ग्रंथ है। और इसी तरह पतंजलि ने इस ग्रंथ पर बिसात विवरणात्मक ग्रंथ महाभाष्य लिखा। योगसूत्र में ही अष्टांग योग की चर्चा की गई है। यह अष्टांग योग दुनिया के सभी धर्मों के ग्रंथ और दुनिया के सभी तरह के दर्शन का सार हैं जोकि मोक्ष की फलदाई है।

4. उपनिषद

दोस्तों उपनिषद लगभग 1008 से भी अधिक है, लेकिन उनमें से केवल 108 ही मुख्य है। दोस्तों उपनिषद वेदों का सार है। इसमें कई रोचक अलौकिक और रहस्यमई बातों को कही गई है। जिसे पढ़कर आपकी सोच बदल जाएगी जिसे आपका संसार को देखने का नजरिया तक बदल जाएगा।

5. बेताल पच्चीसी

हम सभी बेताल पच्चीसी की कहानी से अवगत हैं जो कि भारत की सभी लोकप्रिय कथाओं में से एक है। बेताल पच्चीसी कि यह कथाएं राजा विक्रमादित्य की न्याय शक्ति का हमें बोध करवाती है। जिसमें बेताल राजा विक्रमादित्य को प्रतिदिन एक कहानी सुनाता है और अंत में राजा से एक ऐसा प्रश्न पूछता है कि राजा को उसका उत्तर देना ही पड़ता है। बेताल ने राजा से यह शर्त लगा रखी है कि राजा अगर बोलेगा तो वह राजा से रूठ कर फिर से पेड़ पर जा लटकेगा। लेकिन यह जानते हुए भी कि सवाल सामने आने पर कि राजा चुप नहीं रह जाता। इसे भारत की सबसे पहली घोस्ट स्टोरी माना जाता है। माना जाता है बेताल पच्चीसी के कहानी का स्रोत राजा सातवाहन के मंत्री गुणाढ्य द्वारा रचित बड़काहा नामक ग्रंथ को दिया जाता है। जिसकी रचना ईसा पूर्व 495 मैं हुई थी कहा जाता है कि या किसी पुरानी और प्राचीन भाषा में लिखा गया था। और इसमें 7 लाख छंद थे आज इसका कोई भी अंश कहीं भी प्राप्त नहीं है

6. विमान शास्त्र

विमान शास्त्र एक रहस्यमई किताब है जिसकी रचना ऋषि भारद्वाज ने की थी। उन्होंने अपने इस किताब में विमान बनाने की जिस तकनीक का उल्लेख किया है उस का प्रचलन आधुनिक युग में भी होने लगा है। ऋषि भारद्वाज ने यंत्र सर्वस्य नामक बृहद ग्रंथ की रचना की थी। और इस ग्रंथ का कुछ भाग स्वामी ब्रम्हा मुनि ने विमान शास्त्र के नाम से प्रकाशित करवाया था। कहते हैं इस दिव्य ग्रंथ में उच्च और निम्न स्तर पर विचरण करने वाले विविध धातुओं के निर्माण का विवरण मिलता है।

7. पारद तंत्र विज्ञान

हिमाचल के निरमण जिले में 250 वर्ष पुरानी पारद विज्ञान नामक पुस्तक मिली है। इस 1052 पृष्ठ की पुस्तक में कई रहस्य छुपे हुए हैं। इसके बारे में राष्ट्र पांडुलिपि मिशन ही बता सकते हैं इस पुस्तक के ऊपर शोध किया जा रहा है। पारद विज्ञान यानी की केमिस्ट्री की प्राचीन पुस्तक जिसमें शायद आयुर्वेद तंत्र ज्योतिष की वह तमाम जानकारियां उपलब्ध होगी।

8. विज्ञान भैरव तंत्र

अगर खोजा जाए तो तंत्र शास्त्र पर आपको हजारों पुस्तक मिल जाएगी लेकिन सबसे ज्यादा सिद्ध और प्रभावशाली पुस्तक है विज्ञान भैरव तंत्र। यह पुस्तक किसने लिखी यह अभी तक एक रहस्य बना हुआ है। कहा जाता है कि यह पुस्तक भगवान शिव और माता पार्वती के संवाद से अस्तित्व में आया था। इस पुस्तक में भैरवी तंत्र देवी पार्वती के द्वारा प्रश्न पूछे जाते हैं और भगवान शंकर उसका उत्तर देते हैं। जिनमें कई रहस्य गुप्त विद्याओं के संबंध में कहा जाता है जिसे पढ़कर आपको बहुत हैरानी होगी।

9. सामुद्रिक शास्त्र

मुख्यता सामुद्रिक शास्त्र मुख मंडल तथा संपूर्ण शरीर के अध्ययन की विद्या है यह विद्या का अनुसरण वैदिक काल से ही किया जा रहा है। यह एक ऐसी रहस्यमई शास्त्र है जो मनुष्य के संपूर्ण चरित्र और भविष्य को खोलकर रख देता है। इस शास्त्र का जन्म 5000 ईसापूर्व भारत में हुआ था। जिनमें ऋषि पराशर, व्यास, भारद्वाज, भृगु, कश्यप, बृहस्पति, कात्यायन आदि महर्षि ने इस विद्या की खोज की थी। यह भी कहा जाता है कि ईसा पूर्व 423 में यूनानी विद्वान NX गोरस इस शास्त्र पढ़ाया करते थे। यह शास्त्र महान सिकंदर को भी भेंट की गई थी।

10. रसरत्नाकर और रसेंद्र मंगल

इस पुस्तक में रसायन के बारे में बहुत ही गुप्त रहस्यों का उजागर किया गया है। इसमें अयस्क सीना बार से पारद को प्राप्त करने की आसवन विधि रजत के धातु कर्म का विवरण तथा वनस्पतियों से कई प्रकार के अम्ल और छार की प्राप्ति की विधि बताई गई है। इस पुस्तक में चांदी, सोना, टिन और तांबे की कच्ची धातु निकालने और शुद्ध करने के तरीके भी बताए गए हैं। इसमें सबसे रहस्यमई बात तो यह है कि इसमें सोना बनाने की विधि का भी वर्णन है।

11. अथर्ववेद

अथर्ववेद एक बहुत ही रहस्यमई किताब है जिन में ऐसी ऐसी विद्याओं का वर्णन किया गया है जिसे सुनकर आपको यकीन तक नहीं होगा। कहते हैं किसी षड्यंत्रकारी ने यदि कुछ देख कर या फिर किसी अन्य उपाय से आपका अहित किया है तो आप किसी यक्ष का स्मरण कर ध्यान अवस्था में रहते हुए यह आभास पा सकते हैं कि आप के खिलाफ कहां कौनसा कुचक्र हो रहा है। हम में से कई लोगों ने रेकी विद्या का नाम सुना है, जिसे हम लोग जापानी विद्या मानते हैं। लेकिन संवर्ग विद्या जो उपनिषद योगेश गाड़ीवान को आती थी। यही गाड़ीवान ही रैक ऋषि थे। रैक ऋषि ने विराट से चढ़ते उर्जा को सीधे-सीधे ग्रहण करने की विद्या अपनाते थे

अथर्ववेद में सम्मोहन विद्या का भी विस्तार है। सम्मोहन विद्या को ही प्राचीन विद्या में प्राण विद्या या त्रिकाल विद्या नाम से पुकारा जाता था। कुछ लोग इसे मोहिनी और वशीकरण विद्या भी कहते हैं। अंग्रेजी में ऐसे हिप्नोटिज्म कहते हैं। यह सारी विद्या हमारे अथर्ववेद में संग्रहित है। पहले इस विद्या का इस्तेमाल भारतीय साधु-संत सिद्धि और मोक्ष प्राप्ति करने के लिए किया करते थे। लेकिन जब यह विद्या गलत लोगों के हाथ में लग गई तब उन्होंने इसके माध्यम से काला जादू से लोगों को बस में करने का साधन बना दिया। दोस्तों हमारे भारत के शास्त्रों का अनुसरण करके दूसरे देशों ने इन्हें अपने तरीके से लिख कर इन रहस्यमई विद्याओं को अपने देश के नाम से उजागर किया। पर जो भी इनका मूल है वह तो हमारे भारत के वेद शास्त्र ही हैं। हमारे भारत के वेद शास्त्र और पुराणों में सारी लौकिक और पारलौकिक बातें लिखी हुई है, जिनका अनुसरण करके हमारे मन के सारे द्वंद मिट जाएंगे।

दोस्तों हमारी हमेशा से यही कोशिश रहती है कि हमारे भारत की वेद पुराण से महत्वपूर्ण बातों को आपको बताएं ताकि आपको यह महसूस हो कि हमारा भारत सभी तरह से परिपूर्ण था, परिपूर्ण है और आगे भी परिपूर्ण रहेगा।


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