पाद क्यों आती हैं

पाद क्यों आती हैं

यह समस्या तो हर घर में किसी ना किसी को होगी ही। वैसे पाद का आना हमारे शरीर के लिए बहुत अच्छा होता है यदि आपको कम पाद आता है तो समस्या नहीं है लेकिन आपको यदि ज्यादा पाद आता है और पाद बदबूदार है तो समस्या हो सकती है क्योंकि कई बार आप ऐसी जगह पर होते हैं जहां पर पादने से आप दूसरों की नजर में गिर सकते हैं।


मान लिया आप कई लोगों के बीच जैसे मीटिंग में बैठे हुए हैं और अगर ऐसे में आपको पाद आ जाता है तो मुझे नहीं लगता है इसमें ज्यादा कोई समस्या होती होगी, काम हो जाता है और किसी को पता भी नहीं चलता है पर क्या होगा कि अगर आप अपने बॉस के सामने अकेले बैठे हैं और आपको गैस की समस्या है ?



सोचिएगा भी मत ,ऐसे में आप अपने बॉस की नज़र में गिर सकते हैं ।अभी हाल ही में यूरोप में एक विमान को इसलिए आपात स्थिति में उतारना पड़ा क्योंकि उसमें सवार एक मुसाफिर ने बार-बार दुर्गंध फैलाकर साथ सफर कर रहे लोगों को बेहाल कर दिया था। 

यह घटना ट्रांसेविया एयरलाइन की एक फ्लाइट में हुई जिसे फार्ट अटैक का नाम दिया गया।अब पाद को कोई सूंघना तो चाहता नहीं पर मजबूरी के कारण सूंघना पड़ता है।वैसे बहुत से लोग हैं जो अपनी नाक बंद कर लेते हैं पर हमें मालूम नहीं चलता कि मुंह से तो पाद अंदर चला ही जाता है बस महसूस नहीं होता।

अब पाद को रोका तो जा नहीं सकता पर इसे कम किया जा सकता है अगर आपको मालूम हो कि पाद क्या है और हमें पाद क्यों आता है ? तो आइए थोड़ा- बहुत जान लेते हैं पाद या फॉर्ट असल में इंटेस्टाइनल गैस निकालने की प्रक्रिया है, जिसके फलस्वरूप खाना पचाया जाता है।

यह गैस हमारे पूरे डाइजेस्टिव सिस्टम में पाई जाती है जिसमें पेट , छोटी आंत, बड़ी आंत (कोलोन) और रेक्टम शामिल है ।पाद नाइट्रोजन , कार्बन डाइऑक्साइड , ऑक्सीजन और अन्य गैसों का मिश्रण होता है।खाना पचने के फलस्वरूप हमारे शरीर में गैस की मात्रा बढ़ जाती है जिसके कारण हमें पाद आता है।

पाद होती क्या है?

हवा होती है. वो, जो आप खाते-खाते निकल जाते हैं या दूसरी वजहों से फेफड़ों की जगह पेट में चली जाती है. इसके अलावा आपका खाया खाना जब पचते हुए आंत में पहुंचता है, तो उस पर बैक्टीरिया काम करने लगते हैं. ये बैक्टीरिया हानिकारक नहीं होते, हमारे दोस्त होते हैं, उस स्टार्च और शक्कर को पचाते हैं जिसे हमारा शरीर आसानी से नहीं पचा पाता. इस दौरान भी गैस निकलती है.

आमतौर पर इस प्रक्रीया में दो से छह कप तक गैस पैदा होती है. अब गैस शरीर के अंदर जाएगी (और पैदा होगी) तो वो बाहर भी निकलेगी. ये गैस आपके ‘गुदा द्वार’ (अंग्रेज़ी में एनस बेहतर शब्द जानते हों तो बताएं) से बाहर निकलती है. यही पाद है. बात कुछ अजीब सी है पर सच है, क्या आपको पता है कि इंसानी पाद में 59% नाइट्रोजन (Nytrogen), 21% हाइड्रोजन (Hydrogen), 9% कार्बन-डाई-ऑक्साइड (Carbon dioxide), 7% मीथेन (Methane) और 4% ऑक्सीजन (Oxygen) होती है।

पादना बुरी आदत है क्या?

ऐसा लोग कहिते हैं. बचपन से आपको सिखा दिया गया है कि बुरा है तो आपने मान लिया कि बुरा होता है. और ऐसा पीढ़ी दर पीढ़ी हुआ है. (इसलिए आज तक किसी महापुरुष की जीवनी में उनके किए तमाम गैरज़रूरी कामों के ज़िक्र के बावजूद उनके पादने का ज़िक्र नहीं मिलता) इसलिए आपने मान लिया है कि पादना बुरा है. लेकिन सच इससे बिलकुल उलट है. पादना अच्छी सेहत की निशानी है. ये बताता है कि आप पर्याप्त मात्रा में फाइबर खा रहे हैं और आपके शरीर में पाचक बैक्टीरिया की अच्छी संख्या मौजूद है.

पादने पर बदबू क्यों आती है?

कुछ खाने-पीने की चीज़ें ऐसी होती हैं जिनमें सल्फर होता है. जब शरीर इस सल्फर को तोड़ती है (पचाना तोड़ना ही होता है), तो हाइड्रोजन सल्फाइड निकलती है. इसका फॉर्म्यूला होता है H2S. इसकी गंध होती है सड़े हुए अंडे जैसी (या उस से कुछ बुरी, आप जानते ही हैं.) तो अगर आपके खाने में सल्फर है, तो आपकी पाद से बदबू आएगी. जान लीजिए कि टूथपेस्ट में नमक हो न हो, खाने में सल्फर ज़रूर होना चाहिए.

कई सेहतमंद चीज़ों के पचने पर हाइड्रोजन सल्फाइड पैदा होती है- जैसे रेड मीट, पत्तागोभी, डेरी उत्पाद, बीन्स और हरी गोभी. इसलिए पाद में थोड़ी गंध हो, तो ये बुरा या अनचाहा कतई नहीं है. एक बात और है, H2S ज्वलनशील होती है. बाकी हम आपकी इमैजिनेशन पर छोड़ रहे हैं.

पाद आने के कारण -

(1) भोजन को अच्छी तरह से चबाकर न खाने से हमारा पाचन तंत्र भोजन को आसानी से पचा नहीं पाता है जिसके फलस्वरूप पेट में गैस बनने लगती है।

(2)गैस बनने का एक कारण वह कार्बोहाइड्रेट है जो पूरी तरह से पच नहीं पाता। ऐसा होता है कि छोटी आंत में मौजूद एंजाइम सारा खाना पचा नहीं पाते ,जब कम पचा हुआ कार्बोहाइड्रेट कोलोन या मलाशय में पहुंचता है तो बैक्टीरिया उस खाने को हाइड्रोजन और कार्बन डाई ऑक्साइड में बदल देता है

(3) रेफिनोज से भरपूर खाद्य पदार्थ को पचाने के लिए हमारे शरीर में एंजाइम की कमी होती है। बैक्टीरिया इस भोजन को पचाने का कार्य करती हैं जिसके कारण पेट में अधिक गैस बनती है। सेम , साबुत चना , शतावरी, ब्रोकोली, स्प्राउट्स और गोभी में रेफिनोज होता है।

(4)इसका एक कारण छोटी आंत में बैक्टीरिया का जरूरत से ज्यादा बढ़ जाना अभी इसकी वजह हो सकती है जिसमें टाइप 2 डायबिटीज, सेलिआक , लीवर की बीमारी शामिल है।

(5) चीनी अल्कोहल से बनने वाले खाद्य पदार्थो को हमारा शरीर अच्छी तरीकों से नहीं पचा पाता है जिसके कारण भी गैस बनती है।

(6) अधिक धूम्रपान करने हमारा पाचन तंत्र भोजन को अच्छी तरह से पचाने में असमर्थ हो जाता है और पेट में गैस बनने की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

(7)कुछ सल्फर - पदार्थ और पेय की वजह से भी ज्यादा पाद आ सकता है। इन पदार्थों के अंदर फूलगोभी, ब्रोकली ,लहसुन, प्याज और कुछ पेय जिनमें शराब भी शामिल हैं।

(8) जब महिलाएं गर्भवती होती हैं तो उनके शरीर में कई बदलाव होने लगती हैं, इस स्थिति में उनका पाचन दर कम हो जाता है और पेट में गैस बनना शुरू हो जाता है।

(9) अनियमित खानपान और दिनचर्या के कारण भी हमारा पाचन तंत्र प्रभावित होता है जिससे गैस की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

(10) खाना खाते वक्त बीच-बीच में पानी पीने से भी गैस की समस्या हो सकती है । कभी-कभी शरीर में पानी की कमी हो जाने पर भी पाचन तंत्र सही रूप से काम नहीं करता है ,ऐसे में सही वक्त पर उचित मात्रा में पानी पीते रहें और नियमित रूप से व्यायाम करें ,आपका पाचन तंत्र मजबूत रहेगा और आप गैस की समस्या से बचे रहेंगे ।

Comments