धातु रोग क्या हैं in hindi

धातु रोग क्या हैं in hindi

आयुर्वेद के अनुसार धातु शब्द का अर्थ है शरीर को धारण/पुष्ट करने/रखने वाले अकार्बनिक तत्व जैसे सोडियम ( Na ) पोटैशियम ( k ) कैल्सियम ( Ca ) फास्फोरस ( p ) सल्फर ( S ) कलोरीन , आयोडीन ,लोहा ,मैग्नीशियम , जिंक ,ताँबा ,मैगनीज , कोबाल्ट ,सैलीनियम , क्रोमियम ,मोलिब्डेनम ,सोना ,चाँदी अभ्रक की ,अल्प मात्रा में शरीर को आवश्यक हैं ।


जब इन सूक्ष्म तत्वों की मात्रा मानक स्तर से शरीर में कम हो जाती है या शरीर की आवश्यकता से अधिक हो जाती है ।बढ़ जाती है । तो शरीर में तरह तरह के रोग पैदा हो जाते हैं इन सूक्ष्म धातुओं के और इनके धातु लवणों की कमी से उत्पन्न होने वाले रोगों को धातु रोग कहते हैं ।

आवश्यकता से अधिक धातुओं और धातु लवणों के शरीर में बढ़ जाने पर वैध भोजन में से उनखाद्य पदार्थों के उपयोग /प्रयोग को मना/निषेध कर देते हैं इसे परहेज कहते हैं जैसे पथरी किडनी में बनने पर टमाटर, पालक, सरसों, चने का साग ,चावल का परहेज बताते हैं तो पथरी पित्त में बनने पर जैविक वसा वनस्पति तेल का कम प्रयोग करने का परहेज बताते हैं ।

आयुर्वेदिक चिकित्सक इन खनिज लवणों की शरीर में कमी होने पर इन धातुओं के लवणों की भस्म , रस रसायन चिकित्सा —उचित परिमाण में लवण ःःखिलाकर विभिन्न प्रकार के रोगों की चिकित्सा करते हैं , जैसे सर्दी में शंख भस्म ,श्रृंग भस्म, खाँसी में अभ्रक भस्म, हरितालिका भस्म, आदि । ।। 

अब कुछ रस जैसे रस माणिक्य रस, कुष्ठकुठार रस चर्मरोगों में ,कृमि कुठार रस ,कृमिजन्य रोगों में बसंत कुसुमाकर रस वृद्धावस्था में थकान कमजोरी बने रहने पर । । ,पलाश क्षारम् ,कल्याण क्षारम्,शिवाक्षारम् ,वज्र क्षारम् आदि धातु लवणों का उपयोग तरह तरह की धातुओं की शरीर में कमी होने पर वैद्य धातु चिकित्सा करते हैं ।

शुगर समस्या डाईबिटिज सैलीनियम की कमी से , कैंसर विटामिन बी. 17 अमिडगैलिन रसायन की कमी से उत्पन्न होता है ।नैट पर देखें और रोग भी जो विभिन्न प्रकार के तत्वों की कमी से होते हैं ।

कार्बन ,हाईड्रोजन ,आक्सीजन , नाईट्रोजन ,अधिक मात्रा में होते हैं जिनके उचित अनुपात में मिलने से कार्बोहाइड्रेट ,वसा , प्रोटीन ,विटामिनस बनते हैं । इनमें विटामिन भी धातुओं में गिने जा सकते हैं क्योंकि इन विटामिन्स की उचित मात्रा शरीर को निरोग रखती है 

इन विटामिन्स की कमी से / अधिक मात्रा में शरीर में आने से भयंकर असाध्य रोग पैदा हो जाते हैं जो औषधियों से नियंत्रण में नहीं आते । उन विटामिन्स की कमी से उत्पन्न व्याधियों का इलाज विटामिन की उचित मात्रा में रोगी को खिलाकर किया जाता है ।

ये विटामिन तरह तरह के नाम के होते हैं जैसे A. ,B ,_ 1,2,3,4,5,6, 11 ,12 ,17 , D , E ,K, H .
विज्ञान के अनुसार धातु रोग शरीर धारक धातुओं की कमी से होते हैं ।

लेकिन अति मात्रा में यौनक्रिया, यौनक्रीड़ा द्वारा अधिक मात्रा में रज स्राव ,शुक्र स्राव — धातु रोग की श्रेणी में इस लिए रखे हैं ,आयुर्वेदिक वैद्य यूनानी हकीम ओं ने ःःःः,कि सैक्सडिस्चार्ज में अधिक मात्रा में धातु लवण पाये जाते हैं ।

जैसे कैल्शियम, जिंक एल्ब्यूमिन प्रोटीन फ्रक्टोज शुगर आदि जिनके अधिक मात्रा में शरीर से निकल जाने पर शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है दिमाग की , शरीर की , यौनांग की ,क्षमता दक्षता प्रभावित होती है ।

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